राजस्थान के प्रतिक चिन्ह ( rajasthan ke pratik chinh ) REET 2022 : इस लेख में राजस्थान के सभी प्रतीक चिन्हों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है, सभी राजस्थान भर्ती परीक्षाओ की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी एक बार अवश्य रूप से इस लेख का अध्ययन कर लेवे |
Contents
rajasthan ke pratik chinh
राज्य वृक्ष – खेजड़ी
सरकार द्वारा 31 अक्टूबर, 1983 को ‘ राज्य वृक्ष घोषित किया गया। खेजड़ी वृक्ष पश्चिमी राजस्थान में सर्वाधिक पाया जाता है , जो अधिक उपयोगी होने के कारण इसे’ राजस्थान का कल्प वृक्ष/ राजस्थान का गौरव राजस्थान का कल्पतरु/ थार का कल्पवृक्ष’आदि उपनामों से जाना जाता है।। खेजड़ी को स्थानीय भाषा में- जांटी राजस्थानी भाषा में-सीमलो ग्रन्थों में- शमी वैज्ञानिक भाषा में- प्रोसोपिस सिनेरेरिया सिन्धी भाषा में- छोकड़ो कन्नड़ भाषा में- बन्नी तथा तमिल भाषा में- पेयमये कहते हैं, तो खेजड़ी वृक्ष की हरी पत्तियों को लूम सूखने के बाद खोखाव फली की साँगरीकहते हैं। खेजड़ी वृक्ष की विजयदशमी/ दशहरे पर पूजा की जाती है। हाल ही में खेजड़ी वृक्ष ‘ सलेसट्रना नामक किड़े व ग्राइकोटमा नामक कवक का शिकार हो रहा हैं। खेजड़ी वृक्ष रेगिस्तान के प्रसार को रोकने के लिए उपयोगी माना जाता है। खेजड़ली दिवस 12 सितम्बर, 1978 से प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
राज्य पुष्प – रोहिड़ा
सरकार द्वारा 31 अक्टूबर, 1983 को ‘ राज्य पुष्प घोषित किया गया। रोहिड़ा के फूल को मरुस्थल का सागवान/ राजस्थान का सागवान/ मारवाड़टीक/ राजस्थान की मरु शोभा वैज्ञानिक भाषा में टीकोमेला एण्डूलेटा आदि नामों से जाना जाता है। रोहिड़ा पश्चिमी राजस्थान में सर्वाधिक पाया जाता है, जो चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में खिलता है। जिसका रंग हिरमिच (पीला + केसरिया + लाल + नारंगी) का होता है।
राज्य पशु (वन्यजीव श्रेणी) -चिंकारा
सरकार द्वारा 12 दिसम्बर, 1983 को ‘ राज्य पशु घोषित किया गया। चिंकारा को छोटा हिरण (एन्टीलोप) व वैज्ञानिक भाषा में गजेला-गजेला कहते हैं। चिंकारा सामान्यतया जोधपुर में पाया जाता है।
राज्य पशु (पशुधन श्रेणी- ऊँट
वैज्ञानिक नाम कैमेलस ड्रेमेटेरियस रेगिस्तान का जहाज के नाम से प्रसिद्ध राजस्थान का पशुधन की श्रेणी में राज्य पशु का दर्जा देने की घोषण 30 जून, 2014 को की गई। लेकिन इसकी अधिसूचना 19 सितम्बर, 2014 को जारी की गई भारत में सर्वाधिक ऊँट राजस्थान में पाये जाते है। ऊँट की कुबड़ में वसा पायी जाती है, जिसके कारण यह लम्बे समय
तक बिना पानी के रह सकता है।
राज्य पक्षी – गोडावण
सरकार द्वारा 21 मई, 1982 को ‘ राज्य पक्षी घोषित किया गया। यह देश का सबसे अधिक दुर्लभ/ लुप्त प्राय: (विलुप्त होने की कगार पर) पक्षी हैं, जिसे ‘ माल मोरड़ी / सोहन चिड़िया/ गुधनमेर/ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड/ हुकना/ वैज्ञानिक भाषा में कोरियोटिस नाइग्रोसेप‘आदि नामों से जाना है। गौड़ावन मरुउद्यान (जैसलमेर), सौरसेन (बारां) एवं सौखलिया नसीराबाद (अजमेर) में पाया जाता है। जिसका भोजन तारामीरा है। गोड़ावन पक्षी अपने अण्डों के लिए जमीन पर घौंसला बनाती है
राज्य खेल – बॉस्केट
बॉल इसे सरकार द्वारा 1948 ई ० में राज्य खेल घोषित किया गया।
राज्य की राजभाषा – हिन्दी
राजस्थान की राजभाषा हिंदी है
राज्य का लोकवाद्य – अलगोजा
अलगोजा राजस्थान राज्य का लोकवाद्य है
राज्य की राजधानी – जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर है
राज्य का नृत्य – घूमर नृत्य
राज्य गीत – ‘ केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश …
‘ केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश … इस गीत को उदयपुर निवासी माँगीबाई ने इसे पहली बार गाया, तो अल्लाजिलाई बाई ने माँड राग में इसे सर्वाधिक बार गाया। प्रतिक चिन्ह
राज्य का शास्त्रीय नृत्य – कत्थक नृत्य
राज्य कवि – सूर्यमल मिश्रण
राजस्थान दिवस – 30 मार्च
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FAQ
उत्तर : राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी है
उत्तर : गोडावण को राज्य पक्षी सरकार द्वारा 21 मई, 1982 को ‘ राज्य पक्षी घोषित किया गया
उत्तर राजस्थान का राज्य खेल बास्केट बाल और इसे सरकार द्वारा 1948 ई ० में राज्य खेल घोषित किया गया|
उत्तर : राजस्थान का राज्य कवि सूर्यमल मिश्रण है|
उत्तर : राज्य का लोकवाद्य – अलगोजा है|