शब्द शुद्धि ( shabd shuddhi ) : शब्द शुद्धि क्या है? भाषा विचारों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है और शब्द भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई है। भाषा के माध्यम से ही मानव मौखिक एवं लिखित रूपों में अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है। इस वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए शब्दों का शुद्ध प्रयोग आवश्यक है। अन्यथा अर्थ का अनर्थ होने में भी देर नही लगती है| shabd shuddhi
हिंदी व्याकरण की इस पोस्ट में शब्द शुद्धि हिंदी व्याकरण को उदाहरण सहित बहुत ही विस्तार पूर्वक समझाया गया है| राजस्थान के वे सभी अभ्यर्थी जो विभिन्न भर्ती परीक्षा REET PRE, REET MAINS, RAS, SI, 1st grade, 2nd grade, PATWARI, VDO, LDC आदि भर्ती परीक्षाओ की तैयारी कर रहे है उन सभी अभ्यर्थियों को इस पोस्ट का एक बार अवश्य रूप से गहन अध्ययन कर लेना चाहिए |
Contents
शब्द शुद्धि की परिभाषा ( shabd shuddhi )
परिभाषा :- भाषा विचारों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है और शब्द भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई है। भाषा के माध्यम से ही मानव मौखिक एवं लिखित रूपों में अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है। इस वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए शब्दों का शुद्ध प्रयोग आवश्यक है। अन्यथा अर्थ का अनर्थ होने में भी देर नही लगती है|
शब्द शुद्धि के नियम
स्वरागम के कारण
स्वरागम के कारण :- निम्न शब्दों में किसी वर्ण के साथ अनावश्यक स्वर प्रयुक्त हो जाने से वर्तनी अशुद्ध हो जाती है। अतः उसे हटा कर वर्तनी शुद्ध की जा सकती है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
अत्याधिक | अत्यधिक |
आधीन | अधीन |
अभ्यार्थी | अभ्यर्थी |
अनाधिकार | अनूधिकार |
अहिल्या | अहल्या |
दुरावस्था | दुरवस्था |
शमशान | श्मशान |
गत्यावरोध | गत्यवरोध |
प्रदर्शिनी | प्रदर्शनी |
द्वारिका | द्वारका |
वापिस | वापस |
घुटुना | घुटना |
व्यौपारी | व्यापारी |
भागीरथ | भगीरथ |
स्वरलोप के कारण
स्वरलोप के कारण :- उचित स्वर के अभाव के कारण
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
आखरी | आखिरी |
आप्लवित | आप्लावित |
कुटम्ब | कुटुम्ब |
दुगनी | दुगुनी |
जलूस | जुलूस |
बदाम | बादाम |
मैथली | मैथिली |
विपन्नवस्था | विपन्नावस्था |
अगामी | आगामी |
सतरंगनी | सतरंगिनी |
गोरव | गौरव |
युधिष्ठर | युधिष्ठिर |
महात्म्य | माहात्म्य |
अन्त्यक्षरी | अन्त्याक्षरी |
आजीवका | आजीविका |
फिटकरी | फिटकिरी |
कुमुदनी | कुमुदिनी |
विरहणी | विरहिणी |
स्वस्थ्य | स्वास्थ्य |
वाहनी | वाहिनी |
मुकंद | मुकुंद |
लोकिक | लौकिक |
व्यंजनागम के कारण
व्यंजनागम के कारण: शब्द में अनावश्यक व्यंजन के प्रयुक्त हो जाने से भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
अवन्नति | अवनति |
प्रज्ज्वलित | प्रज्वलित |
बुध्द्वार | बुधवार |
सदृश्य | सदृश |
पूज्यनीय | पूजनीय |
निश्च्छल | निश्छल |
श्राप | शाप |
समुन्द्र | समुद्र |
निन्द्रित | निद्रित |
केन्द्रीयकरण | केन्द्रिकरण |
कुत्तिया | कुतिया |
शुभेच्छुक | शुभेच्छु |
गोवर्ध्दन | गोवर्धन |
षष्ठम | षष्ठ |
व्यंजन लोप के कारण
व्यंजन लोप के कारण : किसी वर्तनी में व्यंजन के न लिखने पर वर्तनी अशुद्ध हो जाती है|
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
अध्यन | अध्ययन |
उमीदवार | उम्मीदवार |
व्यंग | व्यंग्य |
उच्छृंखल | उच्छृंखल |
उद्देश | उद्देश्य |
महत्व | महत्त्व |
समुचय | समुच्चय |
इन्द्रा | इन्दिरा |
उपलक्ष | उपलक्ष्य |
तरुछाया | तरुच्छाया |
आर्द | आर्द्र |
निरलम्ब | निरवलम्ब |
राजाभिषेक | राज्याभिषेक |
स्वातन्त्र | स्वातन्त्र्य |
द्विधा | द्विविधा |
ईष | ईर्ष्या |
तदन्तर | तदनन्तर |
सामर्थ | सामर्थ्य |
द्वन्द | द्वन्द्व |
उत्पन | उत्पन्न |
समुनयन | समुन्नयन |
मिष्टान | मिष्टान्न |
उलंघन | उल्लंघन |
चार दीवारी | चहार दीवारी |
स्तनपान | स्तन्य पान |
तत्वाधान | तत्त्वावधान |
श्रेयकर | श्रेयस्कर |
स्वालम्बन | स्वावलम्बन |
योधा | योद्धा |
वर्णक्रम भंग के कारण
वर्णक्रम भंग के कारण :- वर्तनी में किसी वर्ण का क्रम बदलने पर अर्थात् वर्ण का क्रम आगे पीछे होने पर वर्तनी अशुद्ध हो जायेगी।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
अथिति | अतिथि |
चिन्ह | चिह्न |
मध्यान्ह | मध्याह्न |
ब्रम्हा | ब्रह्मा |
आव्हान | आहुवान |
जिव्हा | जिह्वा |
गव्हर | गहूवर |
आन्नद | आनन्द |
आल्हाद | आह्लाद |
प्रसंशा | प्रशंसा |
अलम | अमल |
मतबल | मतलब |
वर्णपरिवर्तन के कारण
वर्णपरिवर्तन के कारण :- किसी वर्तनी में किसी वर्ण के स्थान पर दूसरा वर्ण लिख देने पर वर्तनी अशुद्ध हो जाती है|
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
बतक | बतख |
दस्तकत | दस्तखत |
जुखाम | जुकाम |
ऊँगना | ऊँघना |
संगटन | संघटन |
मेगनाद | मेघनाद |
संघठन | संगठन |
रिमजिम | रिमझिम |
यथेष्ठ | यथेष्ट |
सन्तुष्ठ | सन्तुष्ट |
मिष्ठान्न | मिष्टान्न |
परिशिष्ठ | परिशिष्ट |
कनिष्ट | कनिष्ठ |
बसिष्ट | बसिष्ठ |
कुष्ट | कुष्ठ |
ऋन | ऋण |
आशिश | आशीष |
आमिश | आमिष |
पुरष्कार | पुरस्कार |
पंचम् वर्ण/ अनुस्वार एवं चन्द्रबिन्दु के कारण
पंचम् वर्ण/ अनुस्वार एवं चन्द्रबिन्दु के कारण :- किसी वर्ग के अन्तिम नासिक्य वर्ण के स्थान पर अन्य नासिक्य वर्ण लगाने या सही स्थान पर अनुस्वार नहीं लगाने तथा उचित स्थान पर चन्द्रबिन्दु का उपयोग न करने से भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
वांगमय | वाङ्मय |
चन्चल | चंचल |
मन्डल | मण्डल |
षन्मुख | षण्मुख |
सन्यासी | संन्यासी |
एकाकी | एकांकी |
इन्होनें | इन्होंने |
उन्नीसवी | उन्नीसवीं |
करेगें | करेंगे |
स्वयम्वर | स्वयंवर |
सम्वर्धन | संवर्धन |
क्रांन्ति | क्रान्ति |
आंख | आँख |
ऊंट | ऊँट |
पहुंच | पहुँच |
ऊंचाई | ऊँचाई |
ढूंढना | ढूँढना |
दुनियाँ | दुनिया |
चन्चल | चंचल |
सांझ | साँझ |
रेफ सम्बन्धी
रेफ सम्बन्धी :- र् रेफ के रूप में उचित वर्ण पर न लगाने से भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है। ‘ र’ रेफ के रूप में उस वर्ण पर लगाना चाहिए, जिस वर्ण से पूर्व ‘ र् ‘ का उच्चारण होता है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
आर्शीवाद | आशीर्वाद |
उर्तीण | उत्तीर्ण |
आकषर्ण | आकर्षण |
प्रार्दुभाव | प्रादुर्भाव |
दशर्नीय | दर्शनीय |
गर्वनर | गवर्नर |
अर्न्तभाव | अन्तर्भाव |
अर्न्तगत | अन्तर्गत |
मुर्हरम | मुहर्रम |
शार्गीद | शागीर्द |
दुव्यर्सन | दुर्व्यसन |
आर्युवेद | आयुर्वेद |
पुर्नजन्म | पुनर्जन्म |
प्रर्वतक | प्रवर्तक |
ॠ के स्थान पर र के प्रयोग के कारण
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
श्रृंगार | श्रृंगार |
स्रष्टि | सृष्टि |
द्रश्य | दृश्य |
अनुग्रहीत | अनुगृहीत |
पैत्रिक | पैतृक |
द्रष्टि | दृष्टि |
ग्रहिणी | गृहिणी |
प्रक्रति | प्रकृति |
भ्रंग | भृंग |
भ्रगु | भृगु |
जाग्रति | जागृति |
संग्रहीत | संगृहीत |
श्रंग | श्रृंग |
ग्रहीत | गृहीत |
तिरस्कृत | तिरस्कृत |
भ्रत्य | भृत्य |
‘ र’ के स्थान पर ‘ ॠ’ के प्रयोग के कारण।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
बृज | ब्रज |
जागृत | जाग्रत |
दृष्टा | द्रष्टा |
बृटिश | ब्रिटिश |
अनुगृह | अनुग्रह |
दृष्टव्य | द्रष्टव्य |
र के स्थान पर ‘ त्र’ के प्रयोग के कारण।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
सहस्त्र | सहस्र |
स्त्रोत | स्रोत |
अजस्त्र | अजस्र |
स्त्राव | स्राव |
संयुक्ताक्षर संबंधी
संयुक्ताक्षर संबंधी : सही संयुक्ताक्षर का प्रयोग न करने से वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
कब्बड़ी | कबड्डी |
गद्धा | गद्दा |
प्रसिद्व | प्रसिद्ध |
महत्व | महत्त्व |
विध्यालय | विद्यालय |
ज्योत्साना | ज्योत्स्ना |
द्वन्द्ध | द्वन्द्व |
पध्य | पद्य |
लगन | लग्न |
दप्रतर | दफ्तर |
द्वितीय | द्वितीय |
सन्धि सम्बन्धी
सन्धि सम्बन्धी : सही सन्धि न होने पर वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
उपरोक्त | उपर्युक्त |
उज्जवल | उज्ज्वल |
अत्योक्ति | अत्युक्ति |
निरोग | नीरोग |
पुनरोक्ति पुनरुक्ति तदोपरान्त तदुपरान्त | पुनरुक्ति |
तदोपरान्त | तदुपरान्त |
सदोपदेश | सदुपदेश |
शरदोत्सव | शरदुत्सव |
लघुत्तर | लघूत्तर |
महेश्वर्य | महैश्वर्य |
मनहर | मनोहर |
अनुसंग | अनुषंग |
मरुद्यान | मरूद्यान |
अन्तर्चेतना | अन्तश्चेतना |
समास संबंधी
समास संबंधी: सामासिक प्रक्रिया में पदों के मेल पर उनके रूप में परिवर्तन भी होता है। अतः सही समास न होने से वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
मन्त्री परिषद् | मन्त्रि- परिषद् |
नवरात्रि | नवरात्र |
योगीराज | योगिराज |
दुपहर | दोपहर |
पिता-भक्ति | पितृ-भक्ति |
अहो-रात्रि | अहोरात्र |
माताहीन | मातृहीन |
निशिशेष | निशाशेष |
पक्षीराज | पक्षिराज |
प्राणी- विज्ञान | प्राणि-विज्ञान |
दुरात्मागण | दुरात्मगण |
मुनीजन | मुनिजन |
राजागण | राजगण |
चक्रपाणी | चक्रपानि |
प्रत्यय सम्बन्धी
प्रत्यय सम्बन्धी : प्रत्यय का सही प्रयोग न होने पर।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
व्यवहारिक | व्यावहारिक |
अनुपातिक | आनुपातिक |
प्रमाणिक | प्रामाणिक |
इतिहासिक | ऐतिहासिक |
सेनिक | सैनिक |
वेदिक | वैदिक |
पुराणिक | पौराणिक |
भूगोलिक | भौगोलिक |
योगिक | यौगिक |
सौन्दर्यता | सौन्दर्य |
माधुर्यता | माधुर्य |
औदार्यता | औदार्य |
कौशलता | कौशल |
प्रधान्यता | प्राधान्य |
लिंग सम्बन्धी
लिंग सम्बन्धी: अशुद्ध लिंग रूप भी वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धि बन जाता है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
कवियित्री | कवयित्री |
हथनी | हथिनी |
सुलोचनी | सुलोचना |
श्रीमति | श्रीमती |
विदुषि | विदुषी |
साम्राज्ञी | सम्राज्ञी |
हंसनी | हंसिनी |
चमारन | चमारिन |
ठाकुराइन | ठकुराइन |
प्रियदर्शनी | प्रियदर्शिनी |
गृहणी | गृहिणी |
कमलनी | कमलिनी |
कामनी | कामिनी |
कर्ती | कर्त्री |
वचन सम्बन्धी
वचन सम्बन्धी : बहुवचन बनाने के नियमों की उपेक्षा करने पर भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
दवाईयाँ | दवाइयाँ |
इकाईयाँ | इकाइयाँ |
परीक्षार्थीयों | परीक्षार्थियों |
हिन्दूओं | हिन्दुओं |
संन्यासी वर्ग | संन्यासिवर्ग |
खेतीहर | खेतिहर |
प्राणीवृन्द | प्राणिवृन्द |
विद्यार्थीगण | विद्यार्थिगण |
विसर्ग सम्बन्धी
विसर्ग सम्बन्धी : वर्तनी में सही विसर्ग का प्रयोग न करने या विसर्ग सन्धि की अशुद्धि पर वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
प्रातकाल | प्रातः काल |
अधोपतन | अधः पतन |
दुख | दुःख |
निकंटक | निष्कंटक/ निःकंटक |
प्राय | प्राय: |
अंतकरण | अन्त:करण |
हलन्त का प्रयोग न करने पर।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
परिषद | परिषद् |
उच्छवास | उच्छ्वास |
षडयन्त्र | षड्यन्त्र |
उदघाटन | उद्घाटन |
षटरस | षट् रस |
उदगार | उद्गार |
तड़ित | तड़ित् |
पृथक | पृथक् |
भाषाविद | भाषाविद् |
उपसर्ग सम्बन्धी
उपसर्ग सम्बन्धी : सही उपसर्ग का प्रयोग न होने या अनावश्यक उपसर्ग लगा देने से भी वर्तनी अशुद्ध हो जाती है।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
उदण्ड | उद्दण्ड |
बेफजूल | फजूल |
दरअसल में | दरअसल |
सविनयपूर्वक | सविनय |
मात्रा सम्बन्धी
मात्रा सम्बन्धी : स्वर की उचित मात्रा के प्रयोग न करने से सर्वाधिक वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ होती हैं।
अशुद्ध वर्तनी | शुद्ध वर्तनी |
रात्री | रात्रि |
मूर्ती | मूर्ति |
हानी | हानि |
तिलांजली | तिलांजलि |
वाल्मीकी | वाल्मीकि |
ईकाई | इकाई |
बिमार | बीमार |
परिक्षा | परीक्षा |
पत्नि | पत्नी |
पती | पति |
निरोग | नीरोग |
निरिक्षण | निरीक्षण |
रचियता | रचयिता |
महिना | महीना |
दिवार | दीवार |
पिपिलिका | पिपीलिका |
तियालीस | तैंतालीस |
गुप्ता | गुप्त |
इस्नान | स्नान |
वधु | वधू |
शब्द शुद्धि के उदाहरण
अशुद्ध – शुद्ध
अगम – अगम्य
अगामी – आगामी
अजमाइश – आजमाइश
अतिथी – अतिथि
अत्याधिक – अत्यधिक
अबकाश – अवकाश
अनेकों – अनेक
अलोकिक – अलौकिक
अनुतर – अनुत्तर
अनुदित, अनुवादित – अनूदित
अनुगृह – अनुग्रह
अनूजा – अनुजा
अनुग्रहीत – अनुगृहीत
अन्तरीक्ष – अंतरिक्ष
अन्धेरा, अंधेरा – अँधेरा
अन्ताक्षरी – अंत्याक्षरी
अत्योक्ति – अत्युक्ति
अध्यन – अध्ययन
अधीनस्त – अधीनस्थ
अधार – आधार
अन्वेषण – अन्वेशण
अमावस/ अमावश्या – अमावस्या / अमावास्या
अवश्यकता – आवश्यकता
अभीनेता – अभिनेता
अभिष्ट – अभीष्ट
असुया – असूया (ईर्ष्या)
आसीस – आशीष्
अनाथिनि – अनाथा, अनाथिनी
आधीन – अधीन
अनाधिकार – अनधिकार
अपरान्ह – अपराह्न
अहार – आहार
अहिल्या – अहल्या
अहरनिस – अहर्निश (दिन-रात)
अद्वितिय – अद्वितीय
अक्षोहिणी – अक्षौहिणी (सेना)
अन्वीष्ट – अन्विष्ट
आईये – आइए
आवो – आओ
आजीवका – आजीविका
आत्मक – आत्मिक
आदेस – आदेश
आदीत्य – आदित्य
आमात्य – अमात्य
अध्यात्मिक – आध्यात्मिक
आयू – आयु
आल्हाद – आह्लाद
आंसिक – आंशिक
आवश्यकीय – आवश्यक
आवाहन – आह्वान
आद्र – आर्द्र (नम)
इंद्रीय – इंद्रिय
इतिहासिक/ एतिहासिक – ऐतिहासिक
उच्छवास – उच्छ्वास
उज्वल, उज्जवल – उज्ज्वल
उधोग – उद्योग
उपहाश – उपहास
उपरोक्त – उपर्युक्त
उपन्यासिक – औपन्यासिक
उत्कर्षता – उत्कर्ष
उच्छिष्ठ – उच्छिष्ट
श्रृंगार – शृंगार
श्रृंखला – शृंखला
ऋतू – ऋतु
संगृह – संग्रह
वेदेही – वैदेही
व्यस्क – व्यस्क
वेश्य – वैश्य
वेदिक – वैदिक
वितेषणा – वितैषणा
मन्त्री परिषद् – मंत्रि – परिषद्
निकंटक – निष्कंटक/ निःकंटक
सारथी – सारथि
संगृह – संग्रह
हरितिमा – हरीतिमा
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विलोम शब्द
मुहावरे
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लोकोक्तियाँ
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